Bike Insurance , Car Insurance के नाम पर उपभोक्ता को सिर्फ ठगा जा
रहा है बाकी मिलता कुछ भी नहीं है । आज की पोस्ट में यही पूरा खेल समझते हें ।
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आप bike insurance करवाते हें | आपको यह भी पता होगा कि bike insurance क्यों जरूरी है ? car insurance
क्यों जरूरी
है ?
इन सभी बातों
को समझने के साथ सबसे अधिक यह समझना जरूरी है कि जो कम्पनी आपका bike insurance कर रही है उसका फायदा आपको नहीं मिल
रहा है । जब भी आपको bike insurance , Car Insurance का बेनीफिट लेने का मौका होता है उस
वक्त बीमा कम्पनी आपको बेवकूफ बनाती हें ।
भारत की एक ही नहीं सभी कम्पनी जो bike insurance , car इन्श्योरेन्स करती हें । कोई भी कम्पनी गाड़ी
मालिक को उसका लाभ समय पर नहीं देती हें ।
आज आपकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया । आप अपनी बीमा कम्पनी से
क्लेम करें ।
- आपको क्लेम करने में ही समय लग जाएगा ।
- आपकी जल्दी सुनवाई नहीं होती है ।
- क्लेम करने के बाद आपकी गाड़ी किस कंडीसन में खराब है यह जांच होगी ।
- यदि आपकी गाड़ी का कोई भी पार्ट सिर्फ टेढ़ा हुआ है उसका कोई मुआवजा नहीं मिलता है ।
- आपकी गाड़ी का जो भी पार्ट है वह 50% से अधिक टूटा हुआ होना चाहिए ।
ऊपर हमने जो भी कंडीसन लिखीं हें यह बीमा कम्पनी अपने टर्म
एण्ड कंडीसन में नहीं भी लिखता हो लेकिन यह सच है । आप में से जिस किसी का वाहन
एक्सीडेंट में डैमिज हुआ है उसको कई मुसकीलों का सामना करना पड़ता है ।
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बाइक इन्श्योरेन्स कम्पनी आपकी गाड़ी
रिपेयरिंग के लिए जमा कर लेगी । उसके बाद आपको टूट फूट का 30 % से अधिक रुपया जमा
करना होगा । जबकि आप अपनी बाइक का इन्श्योरेन्स के वक्त रुपये पहले से दे चुके हें
।
एक बात समझ में नहीं आती है । आखिर भारत
का सासन और प्रसासन वाहन बीमा के लिए इतना अधिक प्रेशर क्यों देते हें । यदि आपके
वाहन का बीमा नहीं है तो आपसे चालान लगेगा, जुर्माना लगेगा ।
भारत का वही प्रशासन गाड़ी मालिक की मदद
क्यों नहीं करता है । जिस तरह से उसने बीमा कराते वक्त नकद भुगतान किया ठीक उसी
तरह उसके वाहन को तुरंत मरम्मत करके बापस दिया जाए ।
जिस वक्त आपके वाहन में कोई टूट फूट हो
जाती है उसके बाद यदि आप बीमा कम्पनी के भरोसे हें । आपका वाहन आपको 2 माह के लगभग
ठीक होकर मिल पाता है ।
इन्श्योरेन्स का मतलब आपकी सुरक्षा । आपने
यदि वाहन इन्श्योरेन्स लिया तो आपके वाहन की सुरक्षा ।
वाहन इन्श्योरेन्स के फायदे ।
यदि आपका वाहन चोरी होता है –
- बीमा कम्पनी पहली कोसिस आपके वाहन को खोजने की करती है ।
खोजने पर आपका वाहन नहीं मिलता है तो बीमा
कम्पनी आपके वाहन की वेलयू के हिसाब से
भुगतान करती है ।
- यदि आपका वाहन किसी हादसे में टूट जाता है / या जल जाता है । -
- आपके वाहन में टूटे हुए पार्ट्स को बीमा कम्पनी नए पार्ट्स में बदलती है ।
- बीमा होने के बाद भी आपसे 30% से 40% के बीच चार्ज लिया जाता है ।
- बीमा कम्पनी ग्राहक को सबसे बड़ा बेवकूफ यहीं पर बनाती हें ।
- जिस पार्ट्स की कीमत 100 रुपये है गाड़ी मालिक को 150 का बताया जाता है ।
- फिर गाड़ी मालिक से कहा जाता है यह ओरिजनल पार्ट्स है / खैर पार्ट्स ओरिजनल ही होते हें ।
गाड़ी मालिक को उसके बाद में भी कई महीने
लग जाते हें । उसके बाद बीमा कम्पनी गाड़ी की मरम्मत करती है ।
गाड़ी मालिक जिसने अपना बाइक इन्श्योरेन्स
2 मिनट में करवाया है उसे समय पर सर्विस नहीं मिलती है । इसकी वजह से लगभग 70% से अधिक
लोग बीमा कम्पनी से क्लेम नहीं लेते हें । क्योंकि उनको पता है गाड़ी के टूटे हुए
पार्ट्स का पूरा रुपया लगेगा । मरम्मत में भी महीनों लगेंगे । ओर भी कई वजह हें
जिनकी वजह से गाड़ी मालिक बीमा के रुपये का मुनाफा नहीं ले पाता है ।
bike Insurance , Car Insurance कम्पनी के गलत वार्ताव की वजह से वाहन मालिक कुछ इन वजहों से क्लेम नहीं लेते हें
- वाहन मालिकों के बहुत से काम होते हें जो बिना वाहन के संभव नहीं हें ।
- वाहन मालिक जितना रुपया बीमा कम्पनी से क्लेम लेकर बचा पाते हें उससे अधिक उनका किसी अन्य को किराया देने में चल जाता है ।
- जो पार्ट्स बीमा कम्पनी वाहन मालिक को 3500 में देती है वह बाजार में 3000 के लगभग मिल जाता है
- बीमा कम्पनी से क्लेम लेने में समय लगता है बाजार मे तत्काल काम होता है ।
- यदि बीमा कम्पनी से थोड़ा बहुत बच भी जाता है वाहन मालिक का उससे अधिक समय नष्ट किया जाता है
- वाहन मालिक की भागदौड़ भी बढ़ जाती है ।
इस पोस्ट का मतलब यह नहीं है कि आप बाइक
इन्श्योरेन्स , कार इन्श्योरेन्स न करवाएं । इन्श्योरेन्स करवाना जरूरी है । इस
पोस्ट का इतना मतलब है आप सबको मिलकर बीमा कम्पनी से सवाल करने चाहिए । जब हम बीमा
करवाते समय तुरंत भुगतान करते हें । तो मेरी गाड़ी की मरम्मत भी तुरंत होनी चाहिए ।
तुरंत नहीं हॉप सकती है तो कमसे कम समय में होनी चाहिए । बीमा करवाते समय ऐसा भी
नहीं होता है। मेरे वाहन का बीमा आज कर दो पैसे 2 माह बाद ले लेना ।
बीमा कम्पनी ऐसा नहीं कर सकती हें । बीमा
आज किया पैसे 1 माह बाद ले लें । तो गाड़ी मालिक के साथ ऐसी गद्दारी क्यों है । इस
पर सरकार क्यों कुछ नहीं कहती है । इस विषय पर कोर्ट भी कुछ नहीं कहता है ?
वाहन बीमा के प्रकार -
फर्स्ट पार्टी बीमा -
थर्ड पार्टी बीमा -
फर्स्ट पार्टी बीमा- में वाहन चलाने वाला , वाहन और जिसको टक्कर लगी है तीनों का क्लेम मिलता है ।
फर्स्ट पार्टी बीमा करवाने से अन्य ओर भी कई लाभ जुड़े होते हें । उनका भी चार्ज आपसे लिया जाता है । जैसे वाहन स्वामी अपना वाहन खुद न चलाके उनका भाई , ड्राइवर चलाता है । उसके नियम अलग हें ।
थर्ड पार्टी बीमा- में किसी को भी क्लेम नहीं मिलता है । बस बीमा न होने की वजह से पुलिस आपको परेसान नहीं करेगी । आपका चालान नहीं कटेगा ।
बीमा कम्पनी के एजेंट बीमा करवाते समय आपको दीमक की तरह घेरते हें इसका मतलब उसे भी अच्छा फायदा है । बीमा कम्पनी आपका बीमा खतम होते ही आपसे काल करती है इसका मतलब उनको भी अच्छा फायदा है ।
सिर्फ नुकसान यदि किसी का है तो बह वाहन मालिक । उसको फायदा मिल भी जाता है गाड़ी चोरी आदि होने पर लेकिन गाड़ी मे हल्की फुलकी टूट से वाहन मालिक का समय बहुत नष्ट किया है । यह है भारत की न्यायपालिका ।
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