पीपल का फूल और पाखंड
अक्सर हम आप गाँव के बुजुर्गो के मुंह से टोटके आदि की कहानियाँ सुनते रहते हैं । और ऐसा भी नहीं है टोटके अन्धविश्वास गाँव तक ही सीमित हो ये शहर के भी अच्छे पढ़े लिखे घरानों में होते रहते हैं। लोगों के बीच का किस्सा कुछ अलग तरह से है टीवी पाखंड को अपने तरह से दिखाता है। टीवी में ये रिंग फायदा देगी ये पत्थर फायदा देगा बहुत सी बातें होती हैं । यूट्यूब पर तो बहुत ही अजीव तरह के टोटके और ज्ञान मिल जायेगा बस आप एक वीडियो इस तरह का खोजने की कोसिस करें ।
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हम अपने आपको बहुत ही समझदार समझते रहे लेकिन किसी दिन हम भी ऐसे बन जायेंगे ऐसी कभी कल्पना भी नहीं की थी । कहीं भी कोई टोटके या उपाय बताता तो में उसका मज़ाक बना लिया करता था । और लोगों को हमेशा ये सिखाने की कोसिस की कि ये सब पाखंड का हिस्सा है कहीं कुछ नहीं है और एक दिन नहीं कई बार में खुद ऐसी अंधविश्वास से भरी कल्पना पर काम करने लगा । ये पोस्ट लिखने का मेरा मतलब ये नहीं है कि अपने बारे में बताने कि कोसिस कर रहा हूँ बल्कि आप कभी इस तरह के चक्करों में न पड़ें जैसे में पड़ चुका हूँ ।
सन 2020 के लॉक डाउन ने तो सबकी स्थिती पर असर दिया ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ । कोई भी धंधा पानी सब चौपट था । आर्थिक तंगी कि वजह से गृहक्लेश आदि समस्याऐं आती ही रहतीं हैं हम क्या सभी उन परिस्थितियों से गुजरते हैं तो में किसी विदेशी खेत की मूली नहीं हूँ जो बच जाता । उसी हालात में कोई भी मुझे कुछ भी उपाय बताता में बो करता । मेरे खुद के दिमाग़ में कुछ आता बो भी करता लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी ।
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में अपनी तहसील एक 10 रूपए का स्टाम्प खरीदने गया जब तहसील के बाहर गेट पर बापस आ रहा था तो एक साधू के भेष में व्यक्ति बैठा था और एक सादा भेस में वो साधू उस व्यक्ति से उसको दुख से निपटने के रास्ते बता रहा था । तो उनकी बातें सुनने के लिए में भी सडक की तरफ न आकर उसी तरफ हो लिया। जब उनके पास पहुंचा तो उस साधू की बातें मुझे कुछ अच्छी और सच सी लगीं।
जब उन्होंने उस व्यक्ति को समाधान बताकर फुर्सत किया उसके बाद मैंने भी उनके पैर छुए और अपने बारे में बताने लगा । वहां सिर्फ हम 3 लोग ही थे इस बजह से बातें भी मन से सुनी जा रहीं थीं । जब हम अपनी सभी समस्या बता चुके तो साधू ने कहा उपाय तो है थोड़ा कठिन है कर सको तो बतायें । मैंने उनको टोकते हुए कहा स्वामी जी आपके उपाय तो हम सुन लेंगे लेकिन मेरी एक सर्त है । इतना सुनकर बो थोड़ा आश्चर्यचकित हुए और हँसे भी बोले तुम अजीब आदमी हो। उपाय सुनने की भी सर्त होती है ।
मैंने कहा हा होती है में खुद रखता हूँ । बो हंसकर बोले रखो क्या सर्त है तुम्हारी? हमने कहा मेरी सर्त ये है कि पहले तो मेरे उपाय में किसी भी जीव जंतु कि हत्या नहीं होनी चाहिए न आप सर्त के साथ कह दो आपको बकरे कि बली भी देनी है । दूसरी अपने पडोसी के घर ये टोटका कर देना तुम ठीक हो जाओगे । अरे भाई जब पडोसी के यहाँ टोटका करके में सुखी हो जाऊंगा बो दुखी हो जायेगा इससे क्या फायदा बो रोज मेरे दरवाजे कुछ न कुछ मांगने आएगा मेरा पडोसी भी गरीब नहीं होना चाहिए बो हमसे अमीर ही रहे तो कमसे कम हमसे कुछ मांगने तो नहीं आएगा।
इतना सुनकर पास में बैठा व्यक्ति और साधू दोनों बहुत तेज हँसे और अपनी हंसी थामते हुए साधू बोले बेटा अपने फायदे के लिए आदमी सर काट देता है और तुम पडोसी तक सुखी देख रहे हो । हमने कहा हाँ महाराज हमें ऐसा उपाय नहीं चाहिए आप रहने दो अपन गरीब ही ठीक है किसी कि बद्दुआ तो साथ नहीं है । साधू बोले तुम्हारी सोच अच्छी है दुखी नहीं रहोगे कुछ दिन है तकलीफ के कट जाने दो । उन साधू ने मुझे मेरी ही बातें परखकर बोलना शुरू किया और में समझ नहीं पाया ये ढोंग है या सही है ।
साधू बोले - तुम अर्ध रात्रि 1 बजे किसी पीपल के पेड़ के नीचे एक चादर लेकर जाना और पश्चिम दिशा में पीपल के नीचे ही बिछा देना और लगभग आधा पौन घंटे कहीं दूर बैठना। उसके बाद उस चादर के ऊपर देखना कोई तिनका सा होगा उसे उठा लेना और सुरक्षित रख लेना है । और जिस तिनके को तुम उठाओगे उसकी पहचान नहीं कर पाओ तो ही उठाना ।
अगर पहचान कर ली तो वह पीपल का फूल नहीं होगा । क्योंकि आपकी चादर पर घास आदि का तिनका उड़कर गिर जाये तो नहीं उठाना उसे क्योंकि वह घास ही है। वह फूल बिल्कुल हटकर होगा उसमें न तो खुसबू होगी न ही सटीक पहचान करने वाला रंग न ही ढंग का आकर । तुम्हारी चादर पर पड़ी जो भी तिनके जैसी चीज हो जिसकी पहचान न हो प रही हो उसे उठा लेना
क्योंकि वही पीपल का फूल होगी । और उस फूल को ताबीज में भरकर अपनी दुकान घर या गले जिसमें चाहो रख देना सब ठीक हो जायेगा । और हाँ ये फूल जरुरी नहीं है एक दिन में ही मिल जाये महीनों बीत सकते हैं । और जब भी रात को निकलो तो तुम्हें कोई देख न पाए और लौटते वक्त कोई टोक न पाए नहीं तो मामला बिगड़ जायेगा ।
और भी कई बातें जोड़ी मैंने ध्यान से सुनी और दक्षिणा आदि तो नहीं दी उनके पैर छुये फिर में चला आया और दिमाग़ में यही गूँजने लगा फूल लेना है किसी तरह । हमने अपने घर के किसी सदस्य को नहीं बताया कि में ये सब करने वाला हूँ । बस मौक़े कि तलाश थी किस दिन रात को निकलू । जब पत्नी मायके जाती एक या दो दिन के लिए घर पे में और माँ रहती माँ अलग कमरे में सोती इस बजह से मौका लग जाता और रात को एक बजे कई बार गया लेकिन फूल नहीं मिला। एक दिन उस चादर पर पेड़ पर रहने वाले किसी कीड़े का मल जरूर मिला उसे ही सूंघकर पहचान कि ये तो मल ही है ।
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एक दिन फिर एक मौका मिला पत्नी मायके गयी थी मैंने रात को एक बजे के पहले घर से कंबल लिया अपने मिशन के लिए चल पड़ा और माँ जान गयी। लगभग 45 मिनट न लौटने के बाद माँ को उलझन बढ़ी और मुझे इधर उधर ढूंढा और तबतक में आ गया मुझे देखते ही लाखों सवाल शुरू कर दिए। झूंठ कितना भी संभाल कर बोला जाये समझ में आ ही जाता है ।
मैंने घर से बाहर सौच जाने का बहाना बनाया लेकिन कामयाब नहीं हुआ । साधू ने कहा था आप जो भी करोगे सफलता मिलने तक किसी को बताना नहीं है कि में इतनी रात को जाकर क्या करता हूँ । इस बजह से मैंने नहीं बताया झूंट बोलता रहा । सोचा अब माँ पत्नी को बताएंगी कि में घर से बाहर गया था तो कलेश बढ़ सकता है। लेकिन फिर भी सच नहीं बताऊंगा ।
थोड़ी देर बाद माँ रोने घबराने लगीं और कहा रात को किसी महिला से मिलने गया था मेरा सब पैसा बर्बाद कर दिया लड़की बाजी में मैंने फिर भी सच नहीं बताया । फिर माँ की हालत बिगड़ने ही लगी सच बता ही दिया पहले शार्ट में बताया फिर उतनी ही रात को बिस्तार से बताया । फिर भी यकीन नहीं किया माँ ने तो फिर हमने ज्यादा सफाई भी नहीं दी जैसा था बता दिया । कि इस बजह से रात को गया था ।
थोड़ा बहुत यकीन हुआ हो या न हुआ हो मेरी बात का लेकिन बताने के बाद दिमाग़ कुछ इस तरह से घूमा जैसे मेरी कोई खोई हुयी चीज मिल गयी है । मेरी मानसिक्ता बगैर मतलब की हो रही थी और अब सही है। में कुछ भूल सा रहा था और बहुत याद दिलाने के बाद अचानक याद सा याद आ गया हो ।
उस साधू ने जिस तरह से मुझे बताया था मेरी स्थित ऐसी थी अगर बो कहता आप फांसी लगा लो फिर भी तुम्हारी मृत्यु नहीं होगी । मेरे मन की स्थिति ऐसी थी जैसी दिल्ली में एक परिवार ने एक ढोंगी के कहने पर एक साथ फांसी लगा थी बो सही गलत का अनुमान नहीं लगा पाये थे और मर गये थे ठीक में भी कोई अनुमान नहीं लगा पा रहा था क्या सही है क्या गलत । खैर माँ के रुदन ने मुझे एक झटका दे दिया और अब ठीक है सबकुछ । किसी ढोंगी की पहचान करना सरल नहीं होता और तब नहीं होता है जब आप परेशान हों ।
ये तो एक ढोंग था जो मैंने किया फिर निर्णय लिया कि अगर पीपल के पेड़ में फूल आता है तो मुझे देखना है । तो गाँव एक आध लोग जान गये उन्होंने समझाया तुम नहीं देख पाओगे बड़े बड़े तपस्वी तप गये उनको नहीं मिला । ये फूल सिर्फ देवताओं को तपश्या से प्राप्त होता है, देवता इस फूल को भगवान पर चढ़ाते हैं। फिर भी जिद की तो पीपल की डालियों पर कैमरा और लाइट लगाऊंगा रात भर की रिकॉर्डिंग हो जाएगी फिर उसे देख लूंगा । तो सबने कहा ऐसा मत करो तो ठीक है फिर तुम्हारी मर्जी। अभी रिकॉर्डिंग तो नहीं की है लेकिन किसी दिन की तो पोस्ट अपडेट अवश्य करूँगा।
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ये इस तरह की बातें ही इंसान को आलसी बना देतीं है कोई अंगूठी पहन कर सोचता ही रहता है अब सफलता मिलेगी। कोई पत्थर की माला पहन कर सोचता रहता है अब भला शुरू होगा. कोई ढोंगी पाखंडियो के चक्कर में लॉटरी का नम्बर लेता रहता है पर कभी लॉटरी नहीं लगती है और अपनी पूंजी बर्बाद कर चुका होता है । पाखंड में पड़कर इंसान कर्म नहीं करता है। भगवान तो है कहीं न कहीं कर्म करने के साथ-साथ उसका ध्यान ही काफ़ी है । किसी की भभूत लगाने से हादसे नहीं बच सकते जैसे मरना होगा मर जाओगे। पाखंडियो से बचें भगवान को मानें जैसे भी मान सकते हैं। किसी की मदद हो सकती है बो करदेंगे तो आपका बुरा नहीं होगा इस बात की गारंटी नहीं है । लेकिन मदद करके खुशी जरूर मिलेगी । धन्यवाद पोस्ट पढ़ने के लिए ।

